गोपाल प्रसाद व्यास की कविता 'चले आ रहे हैं' इसलिए हम अपनी किस्मत पर नाज़ करते हैं। इस से पहले की सारे ख्वाब टूट जाएँ, और यह ज़िन्दगी हम से रूठ जाए, एक दुसरे के प्यार में खो जाएँ इस कदर, के हम सारे ग़मों को भूल जाएँ! Khoya itna https://dinahs692yuj5.eveowiki.com/user