वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् । चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् । शिव https://josuesfczn.wikipowell.com/5702831/examine_this_report_on_shiv_chalisa_lyrics_in_english